महंगाई पर निबंध – स्पेशल परीक्षा के लिए

महंगाई पर निबंध – स्पेशल परीक्षा के लिए

 

दोस्तों अगर आप लोग भी अपने एग्जाम में महंगाई पर निबंध लिखना चाहते हो तो यह निबंध आप अपने एग्जाम में जरूर लिखिए।

 

पिछले दो दशकों से महंगाई द्रोपदी के क्या की तरह निरंतर बढ़ती जा रही है। विभिन्न वस्तुओं के मूल्य में अत्यधिक वृद्धि को देखकर आश्चर्य होता है। निरंतर बढ़ती हुई महंगाई भारत जैसे विकासशील देश के लिए निश्चित ही भयानक अभिशाप कहा जा सकता है। निम्न वर्ग तथा मध्यम वर्ग के लोगों के साथ उच्च वर्ग के लोग भी महंगाई से त्रस्त हो उठे हैं। महंगाई का सबसे अधिक प्रभाव निम्न मध्य वर्ग पर हुआ है।

 

इस वर्ग के लोग अपना सामाजिक स्तर भी बनाए रखना चाहते हैं तथा स्वयं को चक्रव्यूह में ही फंसा हुआ अनुभव करते हैं। अधिकांश वेतन भोगी कर्मचारी इस कमर तोड़ महंगाई के समक्ष घुटने टेक बैठे हैं। महंगाई के विकराल दानव ने आज संपूर्ण भारतीय समाज को आतंकित कर दिया है।

भारत में 90% लोग महंगाई के दश चक्र में फंसे हुए हैं। बढ़ती हुई महंगाई का सर्वाधिक की मुख्य कारण बढ़ती हुई जनसंख्या है। पिछले 30 वर्षों में हमारे देश की जनसंख्या लगभग तीन गुनी हो गई है। जनसंख्या की वृद्धि के अनुपात में विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में वृद्धि नहीं हुई। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे वैसे विभिन्न वस्तुओं की मांग में वृद्धि होती है।

मांग के अनुपात में यदि वस्तुओं की पूर्ति में वृद्धि नहीं होती, तो महंगाई का बढ़ना स्वाभाविक ही है। पिछले दशक में विभिन्न वस्तुओं पर लगाए गए करो में भी बहुत अधिक वृद्धि हुई है। बढ़ती हुई महंगाई का एक महत्वपूर्ण कारण व्यापारी वर्ग में बढ़ती हुई, वह जमाखोरी की प्रवृत्ति भी है। बड़े-बड़े व्यापारी प्रायः आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक कर लेते हैं। इस प्रकार के वस्तुओं को मनमाने भाव से बेचते हैं। गेहूं, घी, चावल, चीनी जैसी आवश्यक वस्तुएं महंगे मूल्य पर खरीदने के लिए विवश होना पड़ता है।

आज का व्यापारी वर्ग अधिक लाभ अर्जित करना चाहता है। इसलिए वह वस्तुओं के मनमाने मूल्य पर वसूल करना चाहता है। वर्तमान युग में नेताओं को चावन में अत्यधिक धनराशि व्यय करनी पड़ती है। चुनाव में खर्च किया गया अधिकांश धनी व्यापारी वर्ग से चंद्र के रूप में आता है। चुनाव के पश्चात व्यापारी वस्तुओं के मूल्य बढ़ा देते हैं। व्यापारियों द्वारा दिए गए चंदे के बोझ में दबा शासक वर्ग मूल्य वृद्धि का विरोध नहीं कर पाता। इस प्रकार नेताओं और व्यापारियों की मिली भगत से महंगाई निरंतर बढ़ती चली जाती है।

महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए तथा जनता को भी सादगी पूर्ण शैली में निष्ठा रखनी चाहिए। इसके अतिरिक्त आवश्यक पदार्थ के उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि होनी चाहिए। महंगाई पर निबंध 200 शब्दों में

 

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