नशा मुक्ति पर निबंध (शराबबंदी) – विद्यार्थियों के लिए

नशा मुक्ति पर निबंध (शराबबंदी) – विद्यार्थियों के लिए 

 

आज मैं आप लोगों के लिए नशा मुक्ति (शराबबंदी) पर निबंध लाया हूं। इसे आप लोग अपने एग्जाम में लिख सकते हो और अच्छा नंबर ला सकते हो।

 

नशा मुक्ति पर निबंध:-  शराब आप या नशा सेवन वर्तमान भौतिकवादी दुनिया का एक फैशन हो गया है। कुछ लोग नशा सेवन सनी के मानसिक एवं शारीरिक सुख के लिए करते हैं। वर्तमान युवा पीढ़ी कई तरह की निराशा से पीड़ित होकर नशा सेवन करती है। कुछ लोग गलत संगति के कारण नशा सेवन करने लगते हैं।

नगरीकरण और औद्योगीकरण ने भी इस फैशन को बढ़ाया है। सरकार भी नशा या अल्कोहल उत्पाद को अपने राजस्व उगाही का एक जबरदस्त जरिया मानती है। इस प्रकार मद्यपान या नशा या शराब सेवन की प्रवृत्ति विविध कर्म का परिणाम है। व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामाजिक स्तर पर इसके परिणाम अनर्थ होते हैं। इससे व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब होती है। नशा से व्यक्ति का नैतिक पतन होता है। ऐसे व्यक्ति उचित अनुचित में अंतर नहीं करते। नशा सेवन से आपराधिक घटनाओं में भी वृद्धि होती है। इसे पारिवारिक एवं सामाजिक विघटन भी होता है।

शराबबंदी या नशा मुक्ति से शराब पीने के भयंकर परिणाम से आदमी को बचाया जा सकता है, व्यक्ति के स्वास्थ्य और कार्य क्षमता में वृद्धि की संभावना बढ़ जाती है, अपराध और वह अभी चार में कमी आ सकती है, व्यक्ति में आत्मविश्वास का विकास होगा और मानसिक विकृति से सुरक्षा मिलेगी, पारिवारिक जीवन में सुख समृद्धि आएगी, परिवार की आर्थिक परेशानी घटेगी, लड़ाई झगड़ा वह कल काम होंगे, भाभी पीढ़ी में शराब पीने की बुरी आदत नहीं पनपेगी।

नशा मुक्ति असराबबंदी के इन्हीं लबों को ध्यान में रखकर बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 में पूरे राज्य में पूर्ण शराबबंदी नियम लागू किया। इस कानून के तहत बिहार में शराब बनाना, बेचना वह पीना सभी कानूनी अपराध है। अब गांव में एक भी भट्टी नहीं है और कोई बनता भी है तो वह गैर कानूनी है। ऐसा व्यक्ति पकड़े जाने पर जेल जाता है। इस कानून के तहत बिहार के क्षेत्रफल के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति शराब नहीं पी सकता है। किसी के पास यदि शराब की खाली बोतल भी मिलेगी तो वह जेल जाएगा।

किंतु शराबबंदी के कुछ नुकसान भी है। इसके चलते सरकार को एक वृहद राजस्व की हानि उठानी पड़ती है। दूसरे, इसके कानून को लागू करने के लिए बड़े पैमाने पर सरकारी खर्च वहन करने पड़ते हैं, तीसरी शराबबंदी के कारण गैर कानूनी तरीके से मादक ड्रेवो का कारोबार बढ़ जाता है। चौथे, शराबबंदी के कारण मादक दबाए बिकने लगती है। सारतः मद्यपान एवं मादक द्रव व्यसन से समाज को मुक्ति करने की दिशा में सरकार पर्यटन सील रही है किंतु परिणाम संतोष पद नहीं है। शराबबंदी या नशा बंदी के लिए जन जागरण भी आवश्यक है।

दोस्तों आप लोग को यह नशाबंदी का निबंध कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताइएगा।

 

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