अनुशासन पर निबंध – विद्यार्थियों के लिए | Anushasan Par Nibandh Hindi Mein

अनुशासन पर निबंध – विद्यार्थियों के लिए | Anushasan Par Nibandh Hindi Mein

 

आज मैं आप लोग के लिए अनुशासन पर निबंध लाया हूं। आप यह निबंध को कोई भी परीक्षा में लिख सकते हो।

 

अनुशासन पर निबंध:- स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक लोकप्रिय नारा दिया था अनुशासन ही देश को महान बनाता है।

अनुशासन व्यक्ति से आरंभ होता है और राष्ट्र का जीवन बन जाता है। व्यक्तिगत अनुशासन का अर्थ है व्यक्तिगत आवश्यकताओं के स्वरुप अपने को ढालना, अपने परिवार और समाज को दृष्टि में रखते हुए नियम बनाना और पालन करना। अनुशासन व्यक्तिगत आवश्यकता, सामाजिक स्थिति, धार्मिक आचरण और प्रशासनीय नियमों के अनुरुप होता है।

अनुशासन के साथ ही शिष्टाचार जुड़ा हुआ है। इसकी शिक्षा किसी विद्यालय में नहीं दी जाती। प्राचीन भारत में नैतिक शिक्षा का अध्ययन होता था। समाज का प्रत्येक व्यक्ति दूसरे को अनुशासन की शिक्षा देने में सक्षम और तत्पर था। जन्म के बाद से ही अनुशासन की शिक्षा दी जाती थी। जब से पश्चिमी सभ्यता की लहर फैली है और उसकी सुगंध में प्रत्येक व्यक्ति बह गया है तब से अनुशासनहीनता अपने चरम रूप की ओर अग्रसर हुई है।

भारतीयों के बीच दो तरह का अनुशासन व्याप्त है – भारतीय अनुशासन और पश्चिमी अनुशासन। भारत की जिंदगी दोहरी जिंदगी हो गई है। व्यक्तिगत नियम दोहरी हो गए हैं, सामाजिक व्यवस्था दोहरी हो गई है, प्रशासकीय नियम दोहरी हो गए हैं। भारत का कोई धर्म ही नहीं है। यह धर्मनिरपेक्ष राज्य हो या ना हो पर भी धर्मी या अधर्मी आवश्यक हो गया है। जिस देश की कोई भाषा ना, जिस देश का कोई धर्म ना हो, उसे देश में किसी अनुशासन की कल्पना करना पागलपन ही है।

इसी तरह भाषात्मक एकता अथवा अनुशासन, धार्मिक अनुशासन या प्रशासकीय अनुशासन स्वमेव समाप्त हो गया है। इसका दोस्त व्यक्ति – विशेष पर डालना मूर्खता है। विश्व में किसी भी देश में आज विभिन्न मताव लंबी है। फिर भी वहां का जीवन सुचारु रूप से चल रहा है। अनेक भाषाओं के बावजूद भारत की एक भाषा हो सकती है मगर देश में अनेक भाषाएं बोली जा रही है। अनुशासन के नियमों का जब विरोध हो तो अनुशासन की कल्पना ही व्यर्थ है।

आवश्यकता है भारतीय प्रवृत्ति और प्रकृति के अनुरूप अनुशासन के अनुपालन की। यह कहना व्यर्थ है कि इसे नहीं छोड़ सकते अथवा उसे नहीं छोड़ सकते। प्रकृति के जो अनुकूल पड़ेगा उसे अपनाना आसान होगा। उसे कभी भी सहज रूप से अपनाया जा सकता है। वैसे ही होने पर समाज अनुशासित होगा। आज देश में पैसे और बाहुबली के बाली लोग नियम कानून कि दरजी उड़कर देश को अनुशासनहीनता की ओर धकेला जा रहे हैं। यह देश के लिए घातक है। हमें इसे रोकने का पर्यटन करना चाहिए।

दोस्तों आप लोग को यह अनुशासन पर निबंध कैसा लगा कमेंट बॉक्स में अपना जवाब जरूर दीजिएगा।

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